परिचय
निकोला टेस्ला, जिनका नाम विज्ञान की दुनिया में स्वर्णाक्षरों में लिखा जाता है, एक ऐसे महान वैज्ञानिक थे जिनकी खोजें और आविष्कार उनके समय से बहुत आगे थे। टेस्ला ने न केवल विज्ञान के क्षेत्र में क्रांति लाई, बल्कि उन्होंने इंसान के दिमाग और उसके सबकॉन्शियस माइंड (अवचेतन मन) की अद्भुत क्षमताओं को भी पहचाना। उनकी यही समझ और सोच उन्हें अन्य वैज्ञानिकों से अलग बनाती है।
निकोला टेस्ला के महत्वपूर्ण आविष्कार
निकोला टेस्ला ने कई अद्वितीय आविष्कार किए, जो आज भी हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं। इनमें रिमोट कंट्रोल, एसी पावर, इंडक्शन मोटर, हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्लांट, कॉइल, रेडियो कंट्रोल, और टरबाइन शामिल हैं। इन आविष्कारों ने तकनीक की दिशा में एक नया मोड़ दिया और आज की आधुनिक दुनिया का आधार बने।
टेस्ला का सबकॉन्शियस माइंड (अवचेतन मन) पर विश्वास
टेस्ला का मानना था कि हर आविष्कार पहले इंसान के सबकॉन्शियस माइंड (अवचेतन मन) में बनता है। उन्होंने कहा कि “हर महान विचार पहले मनुष्य के दिमाग में उभरता है, फिर वह उसे वास्तविकता में बदलता है।” टेस्ला किसी भी आविष्कार को साकार करने से पहले उस विचार को अपने दिमाग में स्पष्ट रूप से देख लेते थे और फिर उसे वास्तविकता में बदल देते थे।
सबकॉन्शियस माइंड की शक्ति का उपयोग
टेस्ला ने अपने सबकॉन्शियस माइंड की शक्ति का उपयोग करके कई असंभव लगने वाले काम कर दिखाए, जिनकी उस समय के लोग कल्पना भी नहीं कर सकते थे। उनका कहना था कि हमारे अधिकांश फैसले सबकॉन्शियस माइंड से ही होते हैं। यदि हम अपने सबकॉन्शियस माइंड को सही तरीके से प्रशिक्षित करें, तो हम अपने जीवन में अद्भुत परिणाम प्राप्त कर सकते हैं।
सबकॉन्शियस माइंड क्या है?
सबकॉन्शियस माइंड को आइसबर्ग (हिमशिला) के नीचे छिपे हुए हिस्से की तरह समझा जा सकता है। यह हमारे कॉन्शियस माइंड (चेतन मन) से कहीं अधिक बड़ा और शक्तिशाली होता है। यह एक विशाल मेमोरी बैग की तरह होता है, जो हर जानकारी को स्थायी रूप से संग्रहित कर लेता है।
शरीर का 95% कार्य सबकॉन्शियस माइंड द्वारा नियंत्रित
हमारा शरीर हर दिन हजारों कार्य करता है, जिनमें से लगभग 95% कार्य हमारे सबकॉन्शियस माइंड द्वारा नियंत्रित होते हैं। इसका मतलब है कि हमारे दिमाग का अधिकांश हिस्सा हमारे स्वचालित प्रक्रियाओं को नियंत्रित करता है, जैसे कि सांस लेना, दिल की धड़कन, और अन्य शारीरिक क्रियाएं। ये सभी प्रक्रियाएं बिना हमारे सचेत प्रयास के होती हैं और सबकॉन्शियस माइंड द्वारा नियंत्रित होती हैं।
सबकॉन्शियस माइंड की अद्वितीय क्षमताएं
डॉ. ब्रूस लिप्टन के अनुसार, सबकॉन्शियस माइंड कॉन्शियस माइंड से एक मिलियन गुना अधिक शक्तिशाली होता है। इसके उदाहरण के रूप में प्लेसीबो इफेक्ट (नकली इलाज का प्रभाव) का जिक्र किया जा सकता है, जहां बिना दवा दिए ही लोग बेहतर महसूस करने लगते हैं, क्योंकि उनका सबकॉन्शियस माइंड मान लेता है कि उन्हें दवा दी गई है। इसी प्रकार हिप्नोसिस (सम्मोहन) के दौरान लोग पुरानी यादों को स्पष्ट रूप से याद कर पाते हैं।
सबकॉन्शियस माइंड का प्रशिक्षण
हमारा सबकॉन्शियस माइंड हमारे जीवन के हर पहलू को नियंत्रित करता है, और हमें इसे अपने पक्ष में करना चाहिए। इसे प्रशिक्षित करने के लिए सबसे पहले हमें अपने बिलीफ पैटर्न्स (विश्वास की धारणाएं) को समझना होगा। यह बिलीफ पैटर्न्स हमारे बचपन के अनुभवों, हमारे आस-पास के लोगों और हमारे जीवन की घटनाओं से बनते हैं।
नेगेटिव थॉट्स (नकारात्मक विचारों) को पहचानना
अपने सबकॉन्शियस माइंड को प्रशिक्षित करने के लिए सबसे पहले हमें अपने नेगेटिव थॉट्स (नकारात्मक विचारों) को पहचानना चाहिए और उन्हें अपने थॉट जर्नल में लिखना चाहिए। इससे हम अपने लिमिटिंग बिलीफ्स (सीमित धारणाओं) को पहचान सकते हैं और उन्हें बदल सकते हैं।
डोपामिन (Dopamine) के प्रभाव को समझना
दूसरी महत्वपूर्ण बात है डोपामिन के प्रभाव को समझना। हाई स्टिमुलेटिंग एक्टिविटीज़ जैसे सोशल मीडिया स्क्रोलिंग और गेम्स, हमें शॉर्ट टर्म प्लेजर (क्षणिक सुख) देती हैं, जबकि लो स्टिमुलेटिंग एक्टिविटीज़ जैसे सीखना और मीनिंगफुल बातचीत हमें लंबे समय तक संतुष्टि देती हैं।
माइंडफुलनेस और मेडिटेशन
माइंडफुलनेस और मेडिटेशन हमारे सबकॉन्शियस माइंड को प्रशिक्षित करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। जब हम माइंडफुल प्रैक्टिस करते हैं, तो हम अपने ऑटोमेटिक रिस्पॉन्सेस (स्वचालित प्रतिक्रियाओं) को पहचान सकते हैं और उन्हें बदल सकते हैं। इसके लिए फोकस्ड मेडिटेशन (ध्यान) एक अच्छी तकनीक है।
पॉजिटिव सेल्फ-टॉक
खुद से पॉजिटिव बातचीत करना हमारे सबकॉन्शियस माइंड को सकारात्मक बनाने में मदद करता है। जब हम खुद से सकारात्मक बातें करते हैं, तो हमारा दिमाग उसी दिशा में काम करने लगता है और हमारे जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं।
विज़ुलाइजेशन (Visualization) का महत्व
जब हम अपने ड्रीम्स (सपनों) को विज़ुलाइज (दृश्य) करते हैं, तो हमारा सबकॉन्शियस माइंड सक्रिय हो जाता है और हमें उस दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है। विज़ुलाइजेशन हमारी उम्मीदों को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
मिरर वर्क (Mirror Work)
मिरर वर्क एक ऐसी तकनीक है, जिसमें हम खुद से मिरर (आईने) में बात करके अपने सबकॉन्शियस माइंड को प्रशिक्षित कर सकते हैं। यह तकनीक हमारे सेल्फ कॉन्फिडेंस (आत्मविश्वास) को बढ़ाने में मदद करती है और हमारे जीवन में सकारात्मकता लाती है।
निष्कर्ष
निकोला टेस्ला की जीवन यात्रा और उनके सबकॉन्शियस माइंड की शक्ति का उपयोग करना हमें यह सिखाता है कि हम अपने दिमाग को सही दिशा में प्रशिक्षित करके असंभव को संभव बना सकते हैं। टेस्ला ने अपने सबकॉन्शियस माइंड की शक्ति को पहचानकर विज्ञान की दुनिया में अद्वितीय योगदान दिया।
आज की दुनिया में भी, यदि हम अपने सबकॉन्शियस माइंड को सही तरीके से प्रशिक्षित करें, तो हम अपने जीवन में अद्वितीय परिणाम प्राप्त कर सकते हैं। हमें अपने विचारों को समझने, उन्हें सकारात्मक दिशा में ले जाने और अपने जीवन को खुशहाल बनाने के लिए इन तकनीकों का प्रयोग करना चाहिए।
इस ब्लॉग का उद्देश्य है कि आप अपने सबकॉन्शियस माइंड की शक्ति को पहचानें, उसे सही दिशा में प्रशिक्षित करें और अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाएं। आप भी टेस्ला की तरह अपनी क्षमता को पहचान सकते हैं और अपने सपनों को साकार कर सकते हैं।
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